महानगरीय जीवन पर टेंशन इस कदर हावी है कि कोई भी शख्स इससे अछूता नहीं है। भविष्य में कोई मुश्किल न आ जाए, इसलिए हम अभी तरह-तरह के उपाय करते हैं और उन आनेवाली मुश्किलों (जो 95 फीसदी मामलों में आती ही नहीं हैं) को लेकर भयानक टेंशन में रहते हैं।
जब हम महानगरीय टेंशन की समस्या पर विचार करते हैं तो पाते हैं कि इसका सबसे बड़ा कारण काल्पनिक डर है। इसका एक उदाहरण मैं देता हूं। मेरा एक दोस्त है जिसने देश के टॉप इंस्टिट्यूट से एमबीए किया है। वह घर से इतना मजबूत है कि नौकरी चली भी जाए तो उसपर कोई असर नहीं पड़ेगा। लेकिन वह नौकरी जाने के काल्पनिक डर से इतना परेशान रहता है कि उसकी पत्नी और बेटा हमेशा टेंशन में रहते हैं। सबसे चौंकानेवाली बात यह है कि पिछले 8 सालों से वह नौकरी कर रहा है और आज तक उसकी नौकरी नहीं गई है। मैं विश्वास के साथ कह सकता हूं कि वह इतना हुनरमंद है कि आगे भी उसकी नौकरी नहीं जाएगी। लेकिन पिछले 8 सालों में मैंने उसके परिवार को कभी खुश भी नहीं देखा है।
इसी तरह मेरा एक और मित्र है। वह देश के टॉप सॉफ्टवेयर कंपनी में काम करता है। पिछले साल वह अपने प्रोमोशन को लेकर काफी परेशान था। उसे लगता था कि उसका प्रोमोशन इस बार होगा लेकिन मन के अंदर यह काल्पनिक डर था कि कहीं ऐन वक्त पर कोई गड़बड़ न हो जाए। इस चक्कर में वह काफी परेशान रहने लगा था। उसने घर के माहौल को कुछ इस कदर बना दिया था कि घर और ऑफिस में कोई अंतर नहीं रह गया था। घरवालों को उसने इतना टेंशन दिया कि उन्होंने एक दिन मुझे फोन करके बुलाया और उसे समझाने के लिए कहा। उसके पिताजी ने कहा कि अपने इस दोस्त को समझाइए कि हमें इनका प्रोमोशन नहीं चाहिए। हमें चाहिए घर का सुख और उसकी शांति। मजे कि बात यह है कि कुछ ही हफ्तों बाद उसके प्रोमोशन का लेटर आ गया। लेकिन काल्पनिक डर की वजह से उसने 3-4 महीने तक अपने घर के माहौल को नारकीय बना दिया था।
दरअसल, हम इस काल्पनिक डर से इतने परेशान हैं कि हमें लगने लगता है कि टेंशन जीवन का स्थायी अंग है। कुछ मामलों में यह डर इतना बढ़ जाता है कि वह डिप्रेशन के रूप में तब्दील हो जाता है। तो दोस्तो, मन का दरवाजा खोलिए और सदा के लिए निकाल दीजिए इस काल्पनिक डर को क्योंकि इस डर के आगे जिंदगी है।
साभारः nbt.in